देहरादून के जाने मने इंजीनियरिंग कॉलेज की बस की पोल टैब खुली जब मई बल्लिवाला चौक से गुज़र रहा था। बेचारे बचे मासूम दिखने मी भोले मोटी फीस देकर देवभूमि मी अद्मिस्सिओं लिया की उनका भविष्य सुंदर बनेगा पर हाय ऋ देहरादून के बविश्य की किस्मत बचे बेचारे टू बस मी धक्का लगा रहे थे।
हुआ यू की देवभूमि की बस माफ़ कीजिये एक थकी हुई रद्दी बस मी कुछ बचे सवार होके घर जा रहे थे की आधे रस्ते मी बस ख़राब हो गई और एन्गीनिरिंग के बचे ड्राईवर के अधेश पर बस मी धक्का लगाने पर मजबूर हो गए और ५ कम टैब धक्का इसी आस मी लगते रहे की कॉलेज प्रशासन दूसरी बस भेज रहा है ऐसा को-ओर्दिनाटर द्वारा कहा जा रहा था परन्तु कॉलेज मी प्रशासन टू सो रहा था। जैसे तैसे बचे बस मी धक्का लगा कर घर पहुचे।
कृपया ग्राफिक एरा और दूसरे कॉलेज के छात्र इस बारे मी अपनी रे व्यक्त करे।
Tuesday, April 8, 2008
Devbhoomi institue ne students se bus me dhakka lagwaya
Posted by ME at 9:41 PM
Labels: Devbhoomi institue
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